शिशुओं में आंखों से पानी आना - कारण और उपचार
लेखक: डॉ मनीषा मिश्रा, शांतनु नेत्रालय, वाराणसी
शिशुओं में आंखों से अत्यधिक पानी आना या आंसू बहना एक आम समस्या है। इसका सबसे प्रमुख कारण होता है जन्मजात नेजल नलिका अवरोध (congenital nasolacrimal duct obstruction)।
जन्मजात नेजल नलिका अवरोध क्या है?
नेजल नलिका एक पतली नली होती है जो आंखों से नाक तक आंसुओं को ले जाती है। जन्म के समय कभी-कभी यह नलिका अवरुद्ध हो जाती है जिससे आंसू नाक तक नहीं पहुंच पाते और आंखों में ही जमा होने लगते हैं। इससे आंखों से लगातार पानी आता रहता है और पलकों पर क्रस्ट (crust) जम जाता है।
लक्षण
- आंखों से अत्यधिक पानी आना
- आंखों के कोनों में सफेद या पीले रंग का डिस्चार्ज
- पलकों पर क्रस्ट जमना
- आंख के पास नाक के पास सूजन या गांठ
उपचार के विकल्प
अधिकांश मामलों में यह समस्या 1 वर्ष की उम्र तक अपने आप ठीक हो जाती है। उपचार के कुछ विकल्प हैं:
1. नेजल मसाज (nasolacrimal duct massage)
यह एक सरल तकनीक है जिसे माता-पिता घर पर ही कर सकते हैं। इसमें अंगूठे से नाक के पास नेजल नलिका पर हल्का दबाव डालकर मसाज किया जाता है। इससे अवरोध खुलने में मदद मिलती है। यह मसाज दिन में 2-3 बार करना चाहिए।
2. एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स
यदि आंखों से पीले या हरे रंग का डिस्चार्ज निकलता है तो डॉक्टर एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स लिख सकते हैं। हालांकि ये ड्रॉप्स अवरोध को दूर नहीं करते, सिर्फ संक्रमण को कम करते हैं।
3. प्रोबिंग और सर्जरी
यदि 1 साल की उम्र तक भी समस्या बनी रहती है तो डॉक्टर प्रोबिंग या सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं। प्रोबिंग में एक पतली प्रोब को नेजल नलिका में डालकर अवरोध को खोला जाता है। कभी-कभी स्टेंट या ट्यूब भी लगाया जा सकता है।
निष्कर्ष
शिशुओं में आंखों से पानी आना अक्सर जन्मजात नेजल नलिका अवरोध के कारण होता है। अधिकतर मामले 1 साल तक स्वतः ठीक हो जाते हैं। नियमित नेजल मसाज इसमें काफी मददगार साबित होता है। यदि समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। शांतनु नेत्रालय में नेत्र विशेषज्ञ डॉ मनीषा मिश्रा इस समस्या के निदान और उपचार में विशेषज्ञता रखती हैं।
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