स्क्विंट के इलाज के बारे में आम मिथक और सच्चाई
स्क्विंट या भेंगापन एक आम नेत्र समस्या है जिसमें दोनों आंखें एक साथ सही तरीके से एलाइन नहीं होती हैं। इसके इलाज के बारे में कई मिथक प्रचलित हैं। आइए उन्हें जानते हैं और सच्चाई समझते हैं।
मिथक 1: स्क्विंट का इलाज संभव नहीं है
सच्चाई: स्क्विंट का इलाज पूरी तरह संभव है। शांतनु नेत्रालय आई हॉस्पिटल की विशेषज्ञ स्क्विंट सर्जन डॉ मनीषा मिश्रा के अनुसार, स्क्विंट सर्जरी 90% से अधिक मामलों में सफल होती है। गैर-सर्जिकल उपचार जैसे चश्मा, आई पैच और व्यायाम भी कुछ मामलों में प्रभावी हो सकते हैं।
मिथक 2: स्क्विंट सर्जरी से नज़र कमज़ोर हो जाती है
सच्चाई: स्क्विंट सर्जरी से दृष्टि प्रभावित नहीं होती। बल्कि यह आंखों की एलाइनमेंट सुधारकर दृष्टि को बेहतर बनाती है।
मिथक 3: स्क्विंट सर्जरी के बाद आंखों पर गहरे निशान रह जाते हैं
सच्चाई: आधुनिक स्क्विंट सर्जरी बहुत बारीक तकनीक से की जाती है जिससे आंखों पर कोई स्पष्ट निशान नहीं रहते। सर्जरी के 1-2 महीने बाद आंखें पूरी तरह सामान्य दिखने लगती हैं।
मिथक 4: स्क्विंट का इलाज करवाने के बाद यह फिर से हो सकता है
सच्चाई: ज्यादातर मामलों में स्क्विंट का इलाज स्थायी होता है। हालांकि कुछ जटिल मामलों में दोबारा सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। लेकिन नियमित फॉलोअप और डॉक्टर की सलाह का पालन करने से रिकरेंस का खतरा कम हो जाता है।
अगर आप या आपके परिवार में किसी को स्क्विंट की समस्या है, तो जल्द से जल्द शांतनु नेत्रालय आई हॉस्पिटल में संपर्क करें। हमारी विशेषज्ञ डॉ मनीषा मिश्रा आपको सर्वोत्तम इलाज और देखभाल प्रदान करेंगी। स्क्विंट के प्रति लापरवाही न बरतें, समय रहते इलाज करवाएं।
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