डॉ. मनीषा मिश्रा, शान्तनु नेत्रालय आई हॉस्पिटल

नमस्कार प्रिय अभिभावकों,

आज हम बच्चों में आंखों की एक गंभीर समस्या – एम्ब्लायोपिया या लेज़ी आई के बारे में बात करेंगे। यह समस्या बच्चों में दृष्टि क्षमता को काफी प्रभावित कर सकती है, इसलिए इसके लक्षणों और समय पर उपचार की अहमियत को समझना बहुत जरूरी है।

एम्ब्लायोपिया क्या है? यह एक स्थिति है जिसमें बच्चे की एक या दोनों आंखों का विकास ठीक से नहीं होता और दिमाग उस आंख से आने वाले सिग्नल को नजरअंदाज कर देता है। इससे आंख की दृष्टि क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है।

एम्ब्लायोपिया के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे आम कारण रेफ्रैक्टिव एरर्स होते हैं। ये रेफ्रैक्टिव एरर्स मायोपिया (नजदीकी दृष्टि दोष), हाइपरमेट्रोपिया (दूरदृष्टि दोष) और एस्टिगमेटिज्म (असमान कॉर्निया वक्रता) होते हैं।

अगर आपके बच्चे को रेफ्रैक्टिव एरर की समस्या है और उसे चश्मा लिखा गया है, तो यह बहुत जरूरी है कि वह लगातार चश्मा पहने। ऐसा न करने पर उसकी एक आंख कमजोर हो सकती है और एम्ब्लायोपिया विकसित हो सकता है।

एम्ब्लायोपिया का इलाज संभव है, लेकिन जितनी जल्दी इसका पता चले, उतना ही बेहतर होगा। इसलिए, अगर आप अपने बच्चे में निम्नलिखित लक्षण देखते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:

– आंखों में टेढ़ापन
– एक आंख बंद करना या झपकना
– सिर को टेढ़ा करके देखना
– दृष्टि में समस्या होना

समय रहते एम्ब्लायोपिया का इलाज करवाना बहुत जरूरी है क्योंकि यह स्थायी दृष्टि क्षति का कारण बन सकता है। चश्मे का नियमित इस्तेमाल, आई पैच या आई ड्रॉप्स से इलाज किया जा सकता है।

तो प्रिय अभिभावकों, अपने बच्चों की आंखों की देखभाल करना न भूलें। रेफ्रैक्टिव एरर्स को गंभीरता से लें और डॉक्टर की सलाह पर चश्मा लगातार पहनने की आदत डालें। इससे आपके बच्चे की दृष्टि स्वस्थ रहेगी और एम्ब्लायोपिया जैसी गंभीर समस्याओं से बचा जा सकेगा।

धन्यवाद!

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